नाबालिक के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को 20 वर्ष की कठोर कारावास की सजा फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट का फैसला
विशेष न्यायाधीश यशवंत सारथी का फैसला
(अशोक कुमार अग्रवाल)
सकती (हाईटेक न्यूज)21 जून 2022 नाबालिक बालिका से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को फास्ट ट्रैक कोर्ट सक्ती के विशेष न्यायाधीश यशवंत सारथी ने 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो राकेश महंत के अनुसार सक्ती थाना क्षेत्र की नाबालिक के पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराया कि उसकी साढ़े 17 साल की नाबालिक बेटी दिनांक 11.01.2020 को सुबह 11.30 बजे स्कूल जाने के नाम से साइकिल में निकली थी। नाबालिक स्कूल न जाकर साइकिल को अपनी सहेली के घर छोड़कर कहीं और चली गयी। शाम 05 बजे तक वापस घर नहीं आयी तो आसपास पता किया , पता नहीं चलने पर उसकी पत्नी सुकवारा बाई ने अभियोक्त्री की सहेली से पूछी जो बतायी कि अभियोक्त्री स्कूल नहीं गयी थी और अपनी सायकल को अपने एक अन्य सहेली के घर छोड़ी है तब वह गांव कोटवार एवं कीर्तन कुम्हार को बताया । रात में पता चला कि गांव का दिनेश कुम्हार भी अपने घर में नहीं है । इस प्रकार उसे शक है कि उसकी पुत्री अभियोक्त्री को अभियुक्त दिनेश कुम्हार भगाकर ले गया होगा ।
प्रार्थी की रिपोर्ट पर सक्ती पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 363 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया। विवेचना के दौरान सक्ती पुलिस ने गांव के ही दिनेश कुम्हार के कब्जे से नाबालिक को बरामद कर बरामदगी पंचनामा तैयार किया । नाबालिक का धारा 164 द.प्र.सं. के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी से कथन, सीडब्ल्यूसी व महिला पुलिस अधिकारी से कथन कराया गया। नाबालिक ने अपने कथन में आरोपी द्वारा बहला फुसलाकर भागकर ले जाना बताई। नाबालिक के कथन के आधार पर आरोपी द्वारा नाबालिक जो कि अनुसूचित जाति वर्ग की थी, को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया जाना पाये जाने पर प्रकरण में धारा 366, 376 भादवि एवं धारा 4, 6 पॉक्सो एक्ट जोड़ा गया। आरोपी के विरुद्ध पर्याप्त सबूत पाए जाने से आरोपी को विधिवत गिरफ्तार किया गया। प्रकरण में विवेचना के दौरान घटनास्थल का नजरी नक्शा पुलिस द्वारा व पटवारी द्वारा तैयार किया गया। जप्ती पत्रक के अनुसार जप्ती की कार्यवाही की गयी।
संपूर्ण विवेचना पश्चात् अभियोग पत्र तैयार कर विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटिस जांजगीर के न्यायालय में दिनांक 27.05.2020 को प्रस्तुत किया गया। जहां विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटिस द्वारा आदेश पत्रिका दिनांक 09.03.2021 के अनुसार अभियुक्त के विरुद्ध अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(5) के अंतर्गत अपराध बनना आकर्षित न होने पर उक्त अपराध से अभियुक्त को उन्मोचित कर शेष अपराध अंतर्गत धारा 363, 366, 376 भादवि एवं धारा 04, 06 पॉक्सो एक्ट के अपराध के विचारण के लिये प्रकरण को फास्ट ट्रैक कोर्ट विशेष न्यायालय सक्ती में प्रेषित किया गया ।
फास्ट ट्रैक कोर्ट सक्ती के विशेष न्यायाधीश यशवंत सारथी ने अभियोजन द्वारा अपराध प्रमाणित कर दिए जाने से आरोपी को भारतीय दण्ड सहिता की धारा 363 के अपराध के लिए 1 वर्ष का सश्रम कारावास और 1000 रुपए अर्थदंड, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 366 के अपराध के लिए 3 वर्ष का सश्रम कारावास और 1000 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।
नाबालिक घटना के समय 18 वर्ष से कम की थी। लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 में दंड की मात्रा भारतीय दण्ड सहिता की धारा 376 की उपधारा 2(ढ़) से अधिक है। इसलिए लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 42 के तहत भारतीय दण्ड सहिता की धारा 376 की उपधारा 2(ढ़) मे दंडित न करते हुए लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 में दंडित किया गया। अतः अभियुक्त को लैंगिग अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के तहत अभियुक्त को 20 वर्ष का कठोर कारावास और 10,000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है। अभियुक्त को दी गई सभी सजाएं साथ साथ चलेगी। साथ ही अभियुक्त द्वारा अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर 1 वर्ष का कठोर कारावास अलग से भुगताने का आदेश दिया है। अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक राकेश महंत ने किया l