बहुचर्चित सुरेश मिश्रा हत्याकांड के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा
(अशोक कुमार अग्रवाल)
सकती(हाई टेक न्यूज)18 अक्टूबर 2022 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शक्ति में पदस्थ सुरेश मिश्रा का अपहरण करने एवं उसके स्कॉर्पियो वाहन को लूट कर हत्या करने के संबंध में अभियुक्त मीनू उर्फ सत्यनारायण पिता लक्ष्मण दिवाकर निवासी सेंदरी थाना बाराद्वार जिला जांजगीर चांपा (छ. ग.) को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया गया है। इस संबंध में शासकीय अधिवक्ता श्री ऋषिकेश चौबे ने बताया कि दिनाक 23.5. 2016 को कुबेरचंद केसरवानी द्वारा थाना सरिया जिला रायगढ़ में सूचना दिया गया कि दिनांक 23.5.2016 की शाम को वह अपने मोटरसाइकिल से चंद्रपुर गया था और वापस घर आ रहा था उसी समय विश्वासपुर मोड़ के पास चंद्रपुर तरफ से एक सफेद स्कॉर्पियो को उसका चालक तेज एवं लापरवाही पूर्वक चलाते हुए आकर मोड़ के पास एक्सीडेंट कर दिया जिससे वाहन रोड से नीचे पलट गई और स्कॉर्पियो का चालक चोट के कारण स्कॉर्पियो के अंदर ही फौत हो गया है। प्रार्थी की उक्त सूचना के आधार पर आरक्षी केंद्र सरिया में अपराध क्रमांक 20/16 धारा 279, 337, 304 ए के तहत जांच प्रारंभ किया गया।इसी बीच दिनांक 25.1. 2017 को थाना बाराद्वार के एक अन्य अपराध क्रमांक 6/ 2017 के आरोपी आलोक जयसवाल के मेमोरेंडम बयान के आधार पर थाना सक्ति में आरोपी गण के विरुद्ध अपराध क्रमांक 24/17 धारा 364, 302, 201,120 बी 397 404/ 34 भादवी. के तहत एफ. आई. आर. दर्ज किया गया आरोपी आलोक जायसवाल को अभिरक्षा में लेकर उससे पूछताछ कर उसका मेमोरेंडम बयान लिया गया इसी प्रकार आरोपी मीनू उर्फ सत्यनारायण को अभिरक्षा में लेकर उसका मेमोरेंडम बयान लिया गया जिसके अनुसार यह पाया गया कि आरोपी मीनू उर्फ सत्यनारायण सहआरोपी आलोक जायसवाल एवं संतोष सोनवानी के साथ मिलकर दिनांक 23.5. 2016 को शक्ति वन विभाग कार्यालय के सामने से मृतक सुरेश मिश्रा के स्कॉर्पियो वाहन को बुकिंग करने के नाम से लूटकर खरसिया पलगड़ा पहाड़ के पास ले जाकर पेशाब करने के बहाने गाड़ी को रुकवाया गया और सह आरोपी सतीश सोनवानी ने सुरेश मिश्रा के सिर पर पत्थर से मारकर उसकी हत्या कर दिया तथा लाश को गाड़ी के बीच सीट में रखकर ठिकाना लगाने के लिए सरिया बरमकेला की तरफ ले जाते समय स्कारपिओ वाहन पलट जाने से सुरेश मिश्रा के लाश एवं गाड़ी को छोड़कर आरोपीगण भाग गए थे और जिस पत्थर से मारे थे उसे पलगड़ा घाट में फेंक दिए थे मृतक के मोबाइल को एक ट्रक चालक के पास 400 रू.में बेच दिए थे। आरोपी मीनू उर्फ सत्यनारायण वापस अपने घर आकर अपने जींस पैंट को धोया था उसके शर्ट पर खून लगा हुआ था जिसे वह कुर्दा पहाड़ में मिट्टी तेल डालकर जला दिया था। आरोपीगण के विरुद्ध अपराध सबूत पाए जाने पर उन्हें गिरफ्तार कर संपूर्ण जांच पश्चात अभियोग पत्र प्रथम अपर सत्र न्यायालय शक्ति के समक्ष पेश किया गया, आरोपी सतीश सोनवानी एवं आलोक जायसवाल को नाबालिक होने के कारण उनका प्रकरण बाल न्यायालय में है आरोपी मीनू उर्फ सत्यनारायण एवं उनके अधिवक्ता का कहना था कि घटना एक रोड एक्सीडेंट का मामला है वह निर्दोष है तथा उसे झूठा फंसाया गया है बचाव में उसकी ओर से कोई गवाही पेश नहीं किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 27 गवाहों का बयान न्यायालय में करवाया गया है। केस में मृतक की पत्नी श्रीमती गीता मिश्रा ने आरोपी को मृतक सुरेश मिश्रा को अपने साथ ले जाते हुए देखा गया था इस परिस्थितियों के आधार पर आरोपी मीनू उर्फ सत्यनारायण के मेमोरेंडम कथन मे बताए तथ्यों से उजागर हुआ की_गवाह गीता मिश्रा द्वारा आरोपी मीनू उर्फ सत्यनारायण अपने अन्य साथियों के साथ मृतक को वाहन के साथ किराए पर लेने के बहाने लेकर गया था घटना के दिन आरोपीगण उनके मित्र राकेश मनेवार के पास गए थे जिसने उनके कपड़ों पर खून लगा हुआ होना और बिना चप्पल के देखा था आरोपीगणों द्वारा अपने मेमोरेंडम के आधार पर उन स्थानों को पुलिस को ले जाकर दिखाया जहां उन्होंने सर्वप्रथम वाहन को किराए पर प्राप्त किया वह स्थान जहां मृतक के सिर पर पत्थर मारकर हत्या की गई बताया गया घटना के समय पहने हुए कपड़ों को जिस स्थान पर जलाया गया उसे बताया गया स्कॉर्पियो से चप्पल जूते जिसे गीता मिश्रा के द्वारा प्रस्तुत किया गया को आरोपीगण ने अपना होना पहचाना, मृतक का शव स्कॉर्पियो के बीच वाली सीट में नीचे रखा होना पाया गया जिसके सिर में गहरा चोट लगा हुआ था उक्त चोट के संबंध में पत्थर के बारे में क्योरी कराई गई थी, रक्त के निशान पीछे वाली सीट पर मिले थे आगे वाली सीट पर नहीं मिले थे घटना के समय पहने हुए शर्ट को आरोपी मीनू उर्फ सत्यनारायण ने जला दिया था तथा आरोपी आलोक जायसवाल ने लाल गमछा को बरामद करआया था सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आरोपीगण का मुख्य हेतु लूट करना था उन्होंने मृतक सुरेश मिश्रा की हत्या करने का भी उद्देश्य बनाकर सुरेश मिश्रा की एक साथ मिलकर हत्या किया इस प्रकार आरोपीगण को मृतक के साथ अंतिम बार एक साथ देखा जाना भी पाया गया है इस प्रकार विद्वान न्यायालय ने अभियोजन के पक्ष को सफल होना पाते हुए न्यायालय द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश शक्ति के पीठासीन अधिकारी डॉ. ममता भोजवानी के द्वारा आरोपी मीनू उर्फ़ सत्यनारायण को धारा 120 बी भा. द. वि. के लिए आजीवन कारावास एवं 5000रु. के अर्थदंड से, धारा 302/34 भादवी के अपराध के लिए आजीवन कारावास एवं 5000रु. के अर्थदंड, धारा 364/34 में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 3000रु. के अर्थदंड, धारा 397/34 भादवी में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 3000 रुपए के अर्थदंड, धारा 201/34 भादवी में 3 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 2000रु. के अर्थदंड तथा धारा 404/34 भादवी में 3 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 2000रु.के अर्थदंड से दंडित किया गया है। छ. ग. शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता/अपर लोक अभियोजक श्री ऋषिकेश चौबे ने पैरवी किया।*