(अशोक कुमार अग्रवाल)
रायपुर (हाईटेक न्यूज़)
25 सितंबर2023 हाईकोर्ट छत्तीसगढ़ बिलासपुर द्वारा सड़को एवं नेशनल हाईवे हाईवे,राज्य सड़क ,नगरीय निकायों में रात दिन आवारा पशुओं के विचरण पर रोक लगाने छत्तीसगढ़ सरकार को आदेशित किया था ,इस सम्बंध में मुख्य सचिव ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर न्यायालय को भरोसा दिलाया था कि शीघ्र ही इस और कदम उठाए जाएँगे ,इस सम्बंध में प्रदेश की सभी नगरीय निकायों ,जनपदों और ग्राम पंचायतों को आदेश जारी कर सड़को पर आवारा पशुओं के जमावड़ा को रोकने के लिए कारगर कदम उठाने निर्देशित किया था ,लेकिन छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार के नरवा ,घुरवा ,गौठान और बाड़ी योजनाओं में बंदरबांट करते हुए कतिपय भृष्ट अधिकारियों द्वारा इसकी आड़ में करोड़ो रूपये का भरस्टाचार करने के बाद भी व्यवस्था ज्यो की त्यों बनी हुई है ,आज भी जिन आवारा पशुओं को कांजी हाउस या गौठान में रहना चाहिए ,प्रदेश की मुख्य मार्गो में रात दिन विचरण करते हुए हर हमेशा देखा जा सकता है जिसके कारण जहाँ एक और वाहनों की चोट से पशुओं को अकाल मृत्यु का शिकार होना पड़ रहा है वही दूसरी ओर असमय मानव भी चोटिल होकर मृत्यु के आगोश में समा रहे है ,इसमें जिम्मेदार अधिकारियों को कोई मतलब नहीं है । जब भी कोई अतिविशिष्ट अतिथि ,मंत्री आदि सड़क मार्ग से दौरे पर जाते है तो उनके आवागमन पर पूरी सड़क किनारे बैठे आवारा पशुओं को वहां से हटा दिया जाता है उनके प्रस्थान के बाद स्तिथि जस की तस बन जाती है ।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार को इस और कार्यवाही करने का आदेश दिया था ,मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने उच्च न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत कर न्यायालय को कार्यवाही का भरोसा दिलाया था । उसके बाद भी अंदरुनी सडक़ों पर आवारा पशुओं के कारण हो रही दुर्घटनाओं से कई जाने जा चुकी हैं। अदालत ने इस विषय में सख्ती दिखाई लेकिन अब भी सरकार के कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है। चीफ सेक्रेटरी के एफिडेविट के बाद कोर्ट ने कहा कि अब भी कहीं कोई सुधार नहीं है। हालात जस के तस हैं। 6 नवंबर को अगली सुनवाई तय की गई है।प्रदेश में नेशनल हाईवे और शहर की अंदरुनी सडक़ों में भी आवारा मवेशियों के कारण कई हादसे हो चुके हैं। इस मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी।
सीएस को एफिडेविट दाखिल करने का भी आदेश दिया था। अबतक की गई कार्रवाई के बारे में भी अदालत को सूचित करना था। 19 सितंबर को इस मामले की सुनवाई हुई। एफिडेविट का अध्ययन करने के बाद कोर्ट ने कहा है कि हालात में कोई संतोषजनक सुधार नहीं है। अभी भी सडक़ों पर मवेशी खुलेआम विचरण करते दिखाई दे रहे हैं। एनएच के अलावा शहर की सडक़ों में आवारा मवेशी दिख रहे हैं। एक्सीडेंट होने पर मवेशी के साथ इंसानों की भी जान जा रही है।
छह सप्ताह के बाद सुनवाई
कोर्ट ने कहा कि अभी भी सडक़ों पर मवेशी नजर आ रहे हैं। प्रकरण की अगली सुनवाई छह सप्ताह के बाद 6 नवंबर को रखी गई है। इस अवधि ने सडक़ों से मवेशियों को हटाने के लिए कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है। सीएस को एक और एफिडेविट दाखिल करने का आदेश दिया है।