भूरा माहो के नियंत्रण हेतु किसानों को वैज्ञानिको की सलाह , ट्राईफ्लूमेजोपाइरिन 10 प्रतिशत एस.सी. दवा 94 मि.ली. प्रति एकड़ करें छिड़काव
(अशोक कुमार अग्रवाल ) जांजगीर-चांपा(हाईटेक न्यूज ) 09 अक्टूबर, 2021 धान की फसल में अब दाने आने लगा है। ऐसे समय में कीट पतंगों का प्रकोप बढ़ जाता है। भूरा माहो तथा अन्य कीट पतंगों के नियंत्रण के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जरूरी दवाइयों के प्रयोग के लिए सलाह दी गई है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि केन्द्र के वैज्ञानिकों ने जिले के कृषि प्रक्षेत्रों में भ्रमण करने पर पाया कि कृषक भूरामाहो, पेनिकल माइट, तना छेदक जैसी कीट की समस्या से जुझ रहे है। मेडों की साफ-सफाई नही होना और पौध संख्या का अधिक होना कीट पतगो के प्रकोप का कारण है। साथ ही देख-रेख व सस्य क्रियाओं हेतु निरक्षण पट्टिका का न छोड़ा जाना, रासायनिक उर्वरकों का अनियंत्रित प्रयोग के कारण भी कीट व्याधि का प्रकोप बढ़ता है।
भूरा माहो के नियंत्रण के लिए वैज्ञानिकों की सलाह – जिन कृषकों के पास पानी की सुविधा हो वे खेतो में धान की मुंदरी तक पानी भरें। मेडों की मुही को अच्छी तरह बांधे फिर अनुशंसित दवा का छिड़काव करें। अंतः प्रवाही दवा व संपर्क/स्पर्थी दवा का प्रयोग करने की सलाह दी है। जिन खेतों में माहो का प्रकोप अधिक एवं धान हरा हो तो ट्राईफ्लूमेजोपाइरिन 10 प्रतिशत एस.सी. दवा 94 मि. ली. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।
भूरा माहो के नियंत्रण के लिए इनमें से भी किसी एक दवा का प्रयोग किया जा सकता है –
पायमेट्रोजिन 50 प्रतिशत डब्ल्यूजी -300 ग्राम/हेक्टेयर,
थायोमेथेक्जाम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी – 100-120 ग्राम/हेक्टेयर,
इमीडाक्लोरोप्रीड 17.8 प्रतिशत एसएल – 150-200 मि.ली./हेक्टेर,
फिप्रोनिल 3 प्रतिशत $ ब्यूप्रोफेजिन 22 प्रतिशत- 500 मि.ली./हेक्टेयर,
ब्यूप्रोफेजिन 15 प्रतिशत $ एसीफेट 35 प्रतिशत 50 ग्राम/हेक्टेयर
डाइनोटेफ्यूरॉन 20 प्रतिशत एस.जी. 175 ग्राम/हेक्टेयर में से किसी एक दवा का प्रयोग किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि दवा को पौधे के नीचे तक पहुचाना जरूरी है। धान की लंबाई ज्यादा होने पर पानी का भराव अवश्य करे। जिससे माहू कुछ ऊपर की ओर आयेगें व एक एकड़ में 150-200 लीटर पानी या 10-12 स्प्रेयर दवा का इस्तेमाल जरूर करें।