व्याख्याता श्री बेहरा को मिला
सर्वोत्तम दृष्टि बाधित दिव्यांग कर्मचारी पुरस्कार
(अशोक कुमार अग्रवाल )
जांजगीर-चांपा 05 दिसम्बर 2020 समाज कल्याण विभाग के मार्गदर्शन एव सहयोग से शिक्षा, संस्कृति, तकनीकी, संगीत, खेल-कूद, एवं विकास के विभिन्न आयामों में पारंगत होकर व्याख्याता श्री राजेन्द्र कुमार बेहरा स्वावलंबी जीवन-यापन कर रहे हैं। उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सर्वोत्तम दृष्टि बाधित दिव्यांग कर्मचारी पुरस्कार प्रदान किया गया। विकासखण्ड सक्ती के ग्राम परसदा खुर्द विद्यालय शास हाई स्कूल मे पदस्थ व्याख्याता जन्म से ही पूर्णतः दृष्टि बाधित हैं। वे सामान्य एवं दृष्टि बाधित बच्चों के बेहतर शिक्षा एवं सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होने अपनी निःशक्तता को सफलता के लिए कभी आड़े हाथ, आने नहीं दिया। वे निरतर कठिन परिश्रम, दृढ़ संकल्प पर विश्वास करते है, वे अपने सफलता का पूरा श्रेय समाज कल्याण विभाग को देते हैं।
उप संचालक समाज कल्याण ने बताया कि श्री बेहरा बचपन से ही जिज्ञासु एवं चंचल प्रवृत्ति के रहे हैं। इनकी प्राथमिक स्तर की शिक्षा बिलासपुर जुनी लाईन के शासकीय श्रवण दृष्टि बाधितार्थ विद्यालय मे हुई। पूर्व माध्यमिक स्तर की शिक्षा रायपुर शैलेन्द्र नगर स्थित शासकीय दृष्टि एवं श्रवण बाधितार्थ विद्यालय में हुई। हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी की शिक्षा जबलपुर के शासकीय दृष्टि एवं श्रवण बाधितार्थ विद्यालय से पूरा किया। शासन के विशेष विद्यालय में शिक्षा-दीक्षा के फलस्वरूप उनकी शारीरिक, मानसिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, व्यावसायिक एवं सर्वांगीण विकास हुआ । ब्रेल लिपि एव मोबिलिटी शिक्षा में वे कुशल है। वे पढ़ाई के दौरान अपने गांव देवरी से जबलपुर निर्भिक होकर आवागमन करते थे।
अविभाजित मध्यप्रदेश के समय खेल-कूद में वे राज्य स्तरीय शतरंज प्रतियोगिता में में चैम्पियनशिप का गौरव प्राप्त किया है। राष्ट्रीय दृष्टिहीन क्रिकेट प्रतियोगिता में मध्यप्रदेश राज्य का प्रतिनिधित्व किया है। शासन की योजनाओ से कभी आर्थिक दिक्कत नही हुई। उन्हें सामाजिक सुरक्षा पेंशन, निशक्तजन छात्रवृत्ति, निःशक्तजन कृत्रिम अंग प्रदाय योजना, निःशक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना एवं अन्य योजनाओं के तहत उन्हे लाभ मिला। वे स्नातक के दौरान ही शिक्षाकर्मी वर्ग – 03 के पद पर चयनित हुए।
स्नातकोत्तर की शिक्षा हिन्दी साहित्य एवं राजनीति शास्त्र में अर्जितकर दिव्यांगों के कल्याणार्थ निरतर कार्य की ओर अग्रसर है। वे छत्तीसगढ़ दृष्टि बाधित दिव्याग संघ का गठन कर दिव्यांगजनों के सहयोग, दिव्यांगजन सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन, दिव्यांगों का सशक्तिकरण एवं नवाचार के लिए सम्मेलन, दृष्टि बाधितों को सूचना प्रौद्योगिकी तथा एन्ड्रायड एक्सेसिविलिटी जैसे विषयों पर कार्यशाला आयोजित कर दृष्टि बाधितों को पारंगत किया। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर लोकगीत एवं लोकनृत्य की विधा में अपने विद्यालय की छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षित करते हुए राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तर की युवा महोत्सव में सहभागिता का गौरव दिलाया है।